जंगली दरख्तों के
जंगली दरख्तों के दर्मियान
एक सेब के पेड़ के समान,
नज़र आता है मुझे ऐ मसीह,
सारे संतों के बीच में तू
हम्द करूँ तेरी ऐ प्रभु,
अपने जीवन भर इस जंगल के सफर में,
गाऊँ शुक्रगुजारी से मैं
तू ही है नर्गिस खास शारोन का,
हाँ तू सोसन भी वादीयों का,
संतों में तू है अति पवित्र,
कैसा कामिल और शान से भरा,
हम्द करूँ...
इत्र के समान है तेरा नाम,
खुशबू फैलाता है जहाँ में,
तंगी मुसीबत और बदनामी में,
बना खुशबूदार तेरे समान
हम्द करूँ...
घबराहट की लहरों से गर,
डूबूं दुःख के सागर में,
अपने ज़ोरावर हाथ को बढ़ा,
मुझे अपने सीने से लगा,
हम्द करूँ...
अभी आ रहा हूँ तेरे पास,
पूरी करने को तेरी मर्ज़ी,
ताकि दे दूँ मैं काम को अंजाम,
पाऊँ तेरे दीदार में ईनाम,
हम्द करूँ...