जीवन की राहों पैर ए
जीवन की राहों पैर ए
पथिक चलना संभल संभल कर
कोई तुझे पुकार रहा
पीछे मेरे आजा आजा आजा .....
आशीष की राहें खुली खुली अब
कोई पुकारे हर पल तुझे
आराधना के स्वर जग गए हैं
गूंजा दो साडी ज़मी आसमा
जीवन की राहों ..
देना है अपन आजीवन प्रभु को
आवाज़ उसकी बुलाए भी
जागृति के मधुर सुरून को
गहराई से स्वीकार लो
जीवन की राहों ....