क्रूस की दास्ताँ सुनले ये जहां
क्रूस की दास्ताँ सुनले ये जहां
तुझ पर प्यार लुटाने
तेरी बिगड़ी को बनाने
खुदा ही राह दिखाने जहां में आगया
क्रूस की ......
1.कोड़ो की मार सही
क़िलो से टोखा गया
मुख पे धुखा गया
चाटों से मारा गया
फिर भी पुकारा उसने
मांग पिता से उसने
इने तू माफ़ करना ये नादान है
माफ़ी की दुआ मागने आया था
क्रूस की दास्ताँ.....
2. जिसने पाप न जाना
उसी को पापी माना
जिसका दोष न कोई
उसी ने सूली ड़ोही
यीशु डाकू से बोला आज छूटेगा छोला
तू मेरे संग रहेगा
तू मेरे संग चलेगा
अनंत जीवन देने जहां में आगया
क्रूस की .....
3.जिया वह तेरी खातिर
मारा वह तेरी खातिर
आत्मा से सनादन
देदिया उसने ये बदन
अर्पित मन से उसने आत्मा को चढ़ाया
तन और मन को लेकर शरण में उसके आया
पिता से हमको मिलाने जहां में आगे
क्रूस की .....