मुबारक है जिसके
मुबारक है जिसके गुनाह धुल गए
बक्षी गई जिसकी हर एक ख़ता
शुक्रिया ए खुदा - ३
मै जितना खामोश रहा
मेरा गम उतना ही बाधा
रात और दिन मुझ पर ए खुदा
हाथ तेरा भरी था
मैंने अपनी ख़ता को मान
अपनी बदकारी को जाना
मेरे खुदाया मेरी ख़ता को तुने माफ़ किया
शुक्रिया ए खुदा - ३
पास है मेरे जब तू खुदा
क्यों न करूँ मै तुझ से दुआ
मेरी हिफाज़त हर गम से
तू मेरी छिपने की जगह
आज़ादी के नगमे देगा
किस राह पे चलना है कहेगा
तेरी नज़र अब मुझपे होगी
तुने वायदा किया
शुक्रिया ए खुदा - ३