apney aap ko pehchan na saki अपने आप को पहचान न सकी
अपने आप को, पहचान न सकी
पर तूने, पहचान लिया
पढ़ लिया तूने, ये ज़िन्दगी को
और बताया, मैं कौन हूँ
तुझसे ही है शुरू,
तुझ पर ही आके रुकूँ
जॉन तोह कहा, तेरे बिना येषु
क्या अहमियत मेरी, जब तुह न हो कभी
क्या कीमत है मेरी, ज़िन्दगी की
हूँ क्या मैं, कौन हूँ मैं
क्यूँ हूँ मैं
तेरी उत्कृष्ट कारीगरी, कहा तूने
मेरी उत्कृष्ट कारीगरी, कहा तूने
जिसे मैंने ही रचा,
जिसे खुद ही मैंने चुना
मेरे ही समान, बनाया तुझे
तेरी कीमत चुकाई है, तेति अहमियत, बढ़ गयी
तेरी ज़िन्दगी मेरी, अमानत बानी
अपने आप को, हुन पहचान रही
दर नहीं है मुझे, जो तुह साथ है
बदल दिया तूने, मेरे बीते कल को
है पठा अब मुझे, की मैं तेरी हुन येशुआ
I couldn’t recognize myself, But you recognized me. You read my life, And told me who I am. It starts with you, And ends with you. Where would I go without you, Jesus? What’s my significance if you’re never there? What’s the worth of my life? Who am I? What am I? Why am I? You spoke of your excellent craftsmanship, You spoke of my excellent craftsmanship. What I have created, What I have chosen myself, I made you like myself I have paid your price, your value has increased. Your life has become my treasure. Now I am recognizing myself, I’m not afraid, as long as you are with me. You have changed my past, Now I know, I belong to you, Jesus.