Ambar bhi naya dharthi bhi nayaअम्बर भी नया
अम्बर भी नया, धरती भी नई
और नया येरूशलेम होगा
हर सुबह नई, हर शाम नई
हर वक्त सुहाना होगा
सुन्दर सा एक नगर होगा (२)
अंधे की आँख खुलेगी, बहरे का कान खुलेगा (२)
दौडेगा ज़ोर से लंगडा, गूंगा महिमा गायेगा
कोई कष्ट नही , आंसू भी नही
बस प्यार ही प्यार होगा;- हर सबह नई
सूरज भी न डुबेगा, चाँद भी न सोयेगा (२)
कभी अँधेरा न होगा, और पाप का नाम न होगा
वहां मौत नही, बिमारी नही
कभी किसी का अंत न होगा;- हर सुबह नई