दुनिया का डेरा छोड़कर एक दिन
Duniya ka dhra kuduvittoduvil
दुनिया का डेरा छोड़कर एक दिन,
पहुंचूंगा मैं आनंत घर
गाऊंगा खुशी से वहाँ जयगान
क्लेशों पर जयवंत होकर
दुनिया के सुख न चाहूं,
दौलत इज्ज़त न चाहूँ
चलना मुझे है , यीशु के कदमों पर
सर्वस्व करता तुझे, अर्पण,
जग के विधाता प्रभूवर (2)
नफरत से मेरे अपने,
मुझसे अपना मुँह मोड
टुकरा के मुझको, गैरों की तरह
अपने प्रभु की बाहों में,
जल्द ही, रहूँगा मैं हर पाल (2)
धरती और सारी सृष्टि,
निश्चय उस दिन बदलेगी
होगा प्रभु से जब मेरा मिलन
जाऊंगा पंछी के समान, उड़कर,
होगा महिमा में रूपांतर (2)