Karta hum me teri chintaकरता हूँ मैं तेरी चिन्ता
करता हूँ मैं तेरी चिन्ता
तू क्यों चिन्ता करता हैं
आसुओं कि घाटियों में
हाथ न छोडूंगा तेरा (2)
1 मेरी महिमा तू देखेगा
खुद को मेरे हाथो में देदे (2)
मेरी शक्ति मैं तुझको देता हूँ
चलाऊँगा हर दिन इसी जगह में (2)
2 सभी तुझको भूलेंगे थो भि
क्या मैं तुझको भूलूँगा कभी (2)
अपने हाथों में तुझे उठाकर
चलाऊँगा हर दिन मेरी कृपा में (2)
3 अब्रहाम का मैं परमेशवर हूँ
अध्बुत कार्य क्यूँ न करूँगा (2)
लाल सागर में रसता दिया
आझ भि मैं करने के योग्य हूँ (2)