seyon ka yatri hoसियोन का यात्री हूँ यीशु पर आश
सियोन का यात्री हूँ यीशु पर आश्रित हूँ
जाता हूँ कलवारी के राह में
1 यात्रा कर रहा हूँ मैं मुक्ति की राह में
यात्रा है विश्वास की नहीं है दृष्टी की (२)
ठोकरे , मुश्किलें आती है इस राह में
डर नहीं यीशु मेरे साथ में (२)
2 मेरे योग्य है नहीं, संसार यह कभी
दुःख नही है मुझको, यीशु में खुश हूँ (२)
यीशु को कांटो का ताज , देने वाले संसार
तेरे मान सम्मान से, करुँ क्यूँ प्यार (२)
3 है गवाहों का समूह, मेरे चारों ओर
इसलिए मैं नहीं होऊंगा कमज़ोर (२)
मोह से , पाप से , नाता अपना तोड़कर
आगे बढता यीशु को, मैं ताक कर (२)