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Song # 998

तुम जगत की ज्योति हो






तुम जगत की ज्योति हो

तुम धरा के नमक भी हो- 2




तुमको पैदा इसलिये किया

तुमको जीवन इसलिये मिला

उसकी मर्ज़ी कर सको सदा

तुम जगत...




वो नगर जो बसे शिखर पर

छिपता ही नहीं, किसी की नज़र

तुम्हारे भले काम

चमके इस तरह

तुम जगत...




पड़ोसी से प्रेम, तुमने सुना है

दुश्मनों से प्रेम मेरा कहना है

तब ही तुम संतान

परमेश्वर समान,

तुम जगत...




आँख के बदले आँख, बुराई का सामना है

फेरो दूसरा गाल, सह लो सब अन्याय

ऐसा जीवन ही

पिता को भाता है,

तुम जगत...


                                
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