gaunga mein there hi geeth
गाऊँगा में तेरे ही गीत,
हे यिशु तू हे महान
तेरा ही नाम मेरे मसि,
लेता हुं सुबह और शाम (2)
1 जब में गुनाहों में पड़ा, तेरे प्रेम से में दूर था
तेरे सम्मुख आने के लायक, में कदापी योग्य न था (2)
पर तुही मेरे सहारा बना, अपने पास मुझे बुलाया
इसलिए मसिहा ऒठों से अपनी, स्तुती तेरी करँगा;-
2 तेरे अनुग्रह तेरी दया को , कैसे भूलूं में मसि
मेरे शाप को तुने हटाकर, कूद शापित बना मसि (2)
तु ने क्रूस पर लहू, बहकर मुझे, पापों से शुद्ध किया
मेरे आंसूऑ को पोछकर, सरे दुक दूर किया;-